ऑनलाइन फ्रॉड का कड़वा घूंट पीने के लिए सारी दुनिया विवश...

स्मार्टफ़ोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया ने हमारी ज़िंदगी को पहले से आसान और मनोरंजक बना दिया है लेकिन इससे फ्रॉड यानी धोखाधड़ी और जालसाज़ी भी बढ़ गई है, चूंकि ऑनलाइन फ्रॉड का हर मामला पुलिस में दर्ज नहीं होता, इसलिए यह कहना मुश्किल है दुनिया में हर दिन कितने लोग इस धोखाधड़ी का शिकार बनते हैं, लेकिन ऑनलाइन फ्रॉड एक ऐसा सच है जिसका कड़वा घूंट सारी दुनिया पीने के लिए विवश है, लेकिन क्या ऑनलाइन फ्रॉड को रोका जा सकता है, संभवतः नहीं क्योंकि दुर्भाग्य की बात ये है कि ऑनलाइन फ्रॉड बहुत तेज़ी से होता है। 


एक एथिकल हैकर का दावा है कि मैं 5 से 10 मिनिट के भीतर आपका पैसा और सारा डेटा चुरा सकती हूं, ये दावा है रेचेल टोबेक का जो एक एथिकल हैकर हैं, रेचेल बताती हैं, कंपनियां मुझे हायर करती हैं, ये जानने के लिए उनके सिस्टम में कहां-कहां लूप-होल्स हैं जहां ऑनलाइन फ्रॉड हो सकता है, मैं उनके पैसे और डेटा में सेंध लगाती हूं, ताकि उन्हें पता चल सके कि कौन सी कड़ी कमज़ोर है और इसकी मरम्मत किस तरह से करनी है, इस तरह मंज़ूरी लेकर सहमति से की जाने वाली हैकिंग को व्हाइट हैट हैकिंग कहा जाता है, कंपनियां इसके लिए एथिकल हैकर्स की मदद लेती हैं, रेचेल टोबेक जानती हैं कि हैकर्स किस तरह से सोचते हैं, किसी कंपनी की सायबर सिक्योरिटी में देखते ही देखते सेंध लगाना उनके लिए बाएं हाथ का खेल है, उनका दावा है कि मैं निश्चित तौर पर आपको मासूम नज़र आऊंगी, लेकिन पलक झपकते ही आपका पैसा चुरा लूंगी, ऑनलाइन‌ फ्रॉड करने वालो के तौर-तरीके थोड़े अलग हो सकते हैं लेकिन उनका अंतिम लक्ष्य होता है आपका डेटा और पैसा चुराना।


रेचेल कहती हैं कि ऑनलाइन फ्रॉड के लिए उनके पास कई विकल्प होते हैं जिनमें से एक है लॉग इन डिटेल्स को चुराना, रेचेल बताती हैं, मैलवेयर अटैक से बड़े बड़े ऑर्गेनाइजेशंस भी घबराते हैं क्योंकि इससे उनका पूरा डेटा चोरी हो जाता है इसमें यूज़रनेम्स, पासवर्ड्स, एड्रेस, फोन नंबर्स जैसी अहम जानकारियां होती हैं, इस इन्फोर्मेशन के ज़रिए मैं आपके किसी भी एकाउंट को एक्सेस और कंट्रोल कर सकती हूं, साइबर क्राइम की दुनिया में इसे क्रिडेन्शियल स्टफिंग अटैक कहा जाता है, इसी साल सितंबर में कनाडा में ऐसा ही मामला सामने आया था जब ऑनलाइन टैक्स रेवेन्यू सर्विस समेत कुछ अन्य सरकारी एजेंसियों पर क्रिडेन्शियल स्टफिंग अटैक हुआ, हैकर्स ने हज़ारों लोगों की जानकारी चुराई फिर कोविड रिलेटेड ग्रांट के लिए एप्लाई किया और पैसा निकाल लिया, रेचेल कहती हैं, हम हैकर्स ऐसा कैसे कर पाते हैं, इसके लिए एक अलग माइंडसेट की ज़रूरत होती है, इसके लिए हम ओपन सोर्स इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करते हैं, आपकी हर जानकारी जुटाते हैं जो आपके लिंक्डइन या इंस्टाग्राम पोस्ट से भी मिल सकती है, ऑनलाइन शॉपिंग और बैंकिंग सिस्टम में अपने कस्टमर को ऑनलाइन फ्रॉड से बचाने के लिए किसी भी ट्रांजेक्शन से पहले मोबाइल पर एक कोड भेजा जाता है, रेचेल कहती हैं कि ये तरीक़ा सेफ़ तो लगता है, हांलांकि इसमें भी सेंध लगाई जा सकती है, वो कहती हैं, उदाहरण के लिए जिस टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर की आप सेवाएं लेते हैं, उसके बारे में यदि आप ट्विटर या सोशल मीडिया पर कहीं भी कोई शिकायत करते हैं या कुछ और लिखते हैं उससे मुझे पता चल जाता है कि आपके मोबाइल में किस कंपनी की सिम है और यही वो नंबर है जिस पर ट्रांजेक्शन के लिए वैरीफिकेशन कोड आता है, ऐसे में मैं उस कंपनी की सायबर सिक्योरिटी में सेंध लगाकर इस बात का ऐक्सेस ले सकती हूं कि आपको भेजा गया वैरीफिकेशन कोड मेरे पास आ जाए, इस तरह से आप बन जाते हैं ऑनलाइन‌ फ्रॉड का शिकार और सोचते रह जाते हैं आख़िर ऐसा कैसे हुआ।


रेचेल कहती हैं कि दुर्भाग्य की बात ये है कि कितनी भी कोशिश की जाए ऑनलाइन फ्रॉड से आपको बचाना बहुत मुश्किल है क्योंकि हर दिन हर मिनिट ना जाने कितने फिशिंग और 'मेलेशियस डोमेन' बन रहे होते हैं, काउंटर पुलिस फोर्स की संख्या बढ़ाने से भी बात नहीं बनती है क्योंकि साइबर अटैकर अपने काम को इतनी तेज़ी से अंजाम देता है कि उसे रोकने का कोई तरीका नहीं है।


हांलांकि ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों से निपटने के लिए क़ानून बने हैं लेकिन फैक्ट ये है कि हम ना तो ठीक से इंवेस्टीगेशन कर पा रहे हैं ना ही अपराधियों को पकड़कर सज़ा दिलाने में कामयाब हो रहे हैं, विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन स्कैम्स को रोका नहीं जा सकता है क्योंकि सरकारी मोर्चे पर इसके लिए कोई तैयारी, कोई योजना ही नहीं है, एक विशेषज्ञ टमलिन एडमंड्स बताती हैं कि इससे पहले जब मैं गवर्मेंट प्रोसिक्यूटर थी ये साल 2012 की बात है, मैंने अपने दो सहकर्मियों के साथ ये ऑब्ज़र्व किया कि गवर्मेंट एजेंसीज़ में बड़े पैमाने पर कटौती हो रही है तब कुछ क्राइम्स ऐसे थे जिन पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा था, इनमें फ्रॉड के मामले भी शामिल थे तब हमने एक फर्म बनाई ताकि ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार हुए लोग सरकारी सिस्टम पर निर्भर रहे बिना भी न्याय पा सकें, टमलिन एडमंड्स की क्लाइंट्स लिस्ट अब लंबी हो चुकी है जिसमें आम लोगों के साथ कंपनियां और चैरिटी ऑर्गेनाइजेशन भी शामिल हैं।


दरअसल ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले लोगों को कोर्ट कचहरी की परवाह नहीं रहती है क्योंकि ये वो अपराधी हैं जो दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर, दुनिया के किसी भी हिस्से में मौजूद अपने शिकार को आराम से निशाना बना सकते हैं, दरअसल ऑनलाइन फ्रॉड का दायरा उतना ही बड़ा है जितनी बड़ी हमारी ये पृथ्वी, पैसा चोरी होकर कहां गया, इसका पता लगाते लगाते एक वक्त ऐसा आता है जब आपको पता चलता है कि अब कुछ नहीं हो सकता है क्योंकि ऑनलाइन फ्रॉड करने वाला संयुक्त अरब अमीरात में बैठा है या उसने ऑनलाइन पैसे चुराकर वहां के किसी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए हैं तो वहां उस बैंक से कोई मदद नहीं मिलती, ना ही वहां की पुलिस इसमें कोई सहायता करती है, यानी अपराधी, अपराध करते रहते हैं और फलते-फूलते रहते हैं।


अब ऐसे में ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि इसे वैश्विक अपराध घोषित किया जाए और वैश्विक क्राइम कंट्रोल संगठन बना कर ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने की दिशा में पहल करना होगा अन्यथा ये हैंकर्स इसी तरह से सारी दुनिया को लूटते रहेंगे और हम कुछ भी नहीं कर सकेंगे।