हाथरस मामले में योगी सरकार आई एक्शन में

विपक्षी दलों के साथ साथ देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों आदि के बीच हाथरस मामले में अब यूपी सरकार ने जिला प्रशासन के ख़िलाफ़ एक्शन लिया है जिसके क्रम में फिलहाल हाथरस के एसपी विक्रांत वीर, सीओ राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश कुमार वर्मा, एसआई जगवीर सिंह और हेड कॉन्सटेबल महेश पाल को निलंबित कर दिया गया है, बताते चलें कि आज शुक्रवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर नागरिक समाज और कई राजनेताओं ने हाथरस की घटना के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त प्रदर्शन किया है, यही नहीं दिल्ली के अलावा कुछ और शहरों से भी प्रदर्शन की ख़बरें आ रही हैं, यही नहीं कुछ न्यूज चैनलों ने भी इस मामले में आज दिनभर लगातार लाईव अपडेट चलाया और सरकार को जी भर कर कोसा, लगता है उनका असर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर हो रहा है और शुक्रवार देर शाम प्रशासन की ओर से उपरोक्त कार्रवाई की ख़बर आई है।


उधर हाथरस की सीमा पर शुक्रवार को भी संग्राम छिड़ा रहा, इस मामले को लेकर अब राजनीति और भी तेज़ हो गई है और यह सवाल लगातार बड़ा हो रहा है कि 'उत्तर प्रदेश प्रशासन गाँव को सील करके आख़िर क्या छिपा रहा है, यूपी पुलिस ने हाथरस मामले की पीड़िता के गाँव को पूरी तरह सील कर दिया है, गाँव में विपक्ष के नेताओं और मीडिया की एंट्री को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है, गाँववालों के अनुसार उन्हें भी बेहद ज़रूरी काम होने पर आधार-कार्ड दिखाकर गाँव से बाहर जाने और वापस लौटने की अनुमति दी जा रही है, बताया जा रहा है कि गाँव में मामले की पड़ताल कर रहा स्पेशल जाँच दल मौजूद है और पुलिस की भी भारी तैनाती की गई है।


इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने ट्वीट किया है कि उत्तर प्रदेश में माताओं-बहनों के सम्मान-स्वाभिमान को क्षति पहुँचाने का विचार मात्र रखने वालों का समूल नाश सुनिश्चित है, इन्हें ऐसा दंड मिलेगा जो भविष्य में उदाहरण प्रस्तुत करेगा, आपकी उत्तर प्रदेश सरकार प्रत्येक माता-बहन की सुरक्षा व विकास हेतु संकल्पबद्ध है, इससे पहले शुक्रवार सुबह तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन अपने कुछ सहयोगी नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ हाथरस पहुँचे तो यूपी पुलिस ने उन्हें पीड़िता के गाँव नहीं जाने दिया, इस दौरान यूपी पुलिस के कुछ सिपाहियों ने उनके साथ धक्का-मुक्की भी की, टीएमसी पार्टी के नेताओं का दावा है कि इस ज़ोर-ज़बरदस्ती में सांसद डेरेक ओ ब्रायन को चोट भी पहुँची है, इस घटना के बाद टीएमसी की सांसद प्रतिभा मंडल ने कहा कि पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने परिवार के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए हमें यहाँ भेजा था, मैं एक दलित हूँ, मैं समझती हूँ कि इस देश में दलित पर क्या बीत रही है और हमने देखा कि कैसे बेटी का शरीर जला दिया गया, अब कल्पना करें कि परिवार के साथ ये लोग क्या कर रहे होंगे, योगी की पुलिस ने हमें भी धक्का दिया हमारे साथ हाथापाई की और बिना किसी आदेश के हमें रोक दिया, हम सांसद हैं, हमारा काम ज़रूरत के समय इंसानों के साथ खड़ा होना है, बताते चलें कि कल गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ भी यूपी पुलिस के सिपाहियों ने धक्का-मुक्की की थी, राहुल गांधी अपनी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ हाथरस पहुँचे थे, दोनों नेता पीड़िता के परिवार से मिलना चाहते थे लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था, उपरोक्त के संबंध में प्रशासन ने हाथापाई की घटनाओं से इंकार किया है, टीएमसी की महिला सांसद ममता ठाकुर और प्रतिभा मंडल के ख़िलाफ़ बुरे बर्ताव के आरोप पर हाथरस सदर के एसडीएम, प्रेम प्रकाश मीणा ने कहा कि ज़ोर-ज़बरदस्ती करने के आरोप ग़लत हैं, महिला पुलिसकर्मियों ने उनसे कहा था कि वे गाँव में जाने की कोशिश ना करें, पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी कर रहे थे पर टीएमसी नेता गाँव में जाने की बात पर अड़े हुए थे, इसलिए उन्हें रोका गया।


उत्तर प्रदेश प्रशासन के इस रवैये पर सभी विपक्षी दल एक साथ खड़े नज़र आ रहे हैं, जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार का पीड़िता के परिवार के साथ जो रवैया है, उसे बिल्कुल भी जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है, लोकतांत्रिक व्यवस्था में ताक़त का इस तरह प्रयोग करना बेशर्मी है, यूपी सरकार ये ना भूले कि वो सेवक की भूमिका में हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी के नेता सचिन पायलट ने आरोप लगाया है कि यूपी सरकार जानबूझकर सबूत मिटाने की कोशिश कर रही है, वहाँ के ज़िला कलेक्टर पीड़िता के परिजनों को धमका रहे हैं, सीएम और यूपी प्रशासन विपक्ष की आवाज़ दबाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, इसके अलावा एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने सवाल उठाया है कि उत्तर प्रदेश सरकार आख़िर क्या छिपा रही है, उन्होंने प्रेस से बात करते हुए कहा, विपक्ष के नेताओं के साथ ये कैसा बर्ताव किया जा रहा है, हाथरस के डीएम कैसे बयान दे रहे हैं, अन्य अधिकारियों का ये कैसा रवैया है, क्या यूपी सरकार कुछ छिपा रही है, यूपी में दो दिन के भीतर रेप के तीन मामले सामने आये हैं, क्या राज्य के गृह मंत्री या मुख्यमंत्री ने कोई बयान दिया, उन्होंने कहा कि अगर यूपी सरकार इस मामले को हैंडल करने में अक्षम महसूस कर रही है तो पीएम को इस मामले में दख़ल देना चाहिए, इससे पहले शिवसेना पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने भी विपक्ष के लोगों को पीड़िता के परिवार से ना मिलने देने की शिकायत की थी साथ ही उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी के साथ जो बर्ताव यूपी पुलिस ने किया है देश में कोई भी उसका समर्थन नहीं कर सकता है, उन्होंने कहा कि राहुल देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पोते हैं, राजीव गांधी के बेटे हैं, इन लोगों ने देश के लिए शहादत दी है ये बात यूपी सरकार को भूलनी नहीं चाहिए और जिस तरह यूपी पुलिस ने राहुल गांधी का गिरेबान पकड़ा, धक्का मारा, उन्हें गिराया, ये एक तरह से देश के लोकतंत्र का गैंगरेप है, इसकी भी जाँच होनी चाहिए, उधर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे भी आश्चर्य प्रकट करते हुए यह कह चुके हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार विपक्ष के नेताओं को पीड़िता के परिवार से मिलने से रोक रही है और मीडिया उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार से कोई सवाल नहीं कर रहा है, क्यों योगी सरकार से सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए।


इस बीच उपरोक्त घटनाक्रम से नाख़ुश इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गुरुवार को समन जारी कर राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों को अदालत में उपस्थित होने को कहा है, न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अपर पुलिस महानिदेशक को समन जारी कर सभी से 12 अक्तूबर को अदालत में पेश होने और मामले में स्पष्टीकरण देने को कहा है, अदालत का निर्देश आने के बाद शुक्रवार सुबह कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा शीर्ष अधिकारियों को समन जारी किये जाना आशा की एक किरण जैसा है, अदालत की ओर से एक मज़बूत और उत्साहजनक आदेश आया है पूरा देश हाथरस की बलात्कार पीड़िता के लिए न्याय की माँग कर रहा है।


अब उपरोक्त घटनाक्रमों और योगी सरकार के ताजा एक्शन के बाद देखने वाली बात ये होगी कि शनिवार को क्या हाथरस का जिला प्रशासन पत्रकारों और विपक्षी दलों के नेताओं को पीड़िता के परिवार से मिलने की अनुमति देता है कि नहीं और इसके अलावा यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि योगी सरकार का भविष्य प्रदेश में हाल में हुई ब्राह्मणों की हत्याओं और दुष्कर्म की ताजा घटनाक्रमों के बाद क्या होने वाला है, खैर यह तो अभी समय बताएगा...।