वर्तमान समाज और मोबाइल फोन June 13, 2020 • गाथा ब्यूरो (आशुतोष मिश्रा) वर्तमान समाज सामाजिक संबंधों का न होकर सेलफोन अर्थात मोबाइल फोन का जाल बन चुका है। अंततः तात्पर्य यह हुआ कि जब हम किसी वस्तु का आवश्यकता से अधिक उपयोग करते हैं तो वह हमारे ऊपर प्रभाव भी अधिक डालता है। मोबाइल फोन का उपयोग भी चाहे कम करें या अधिक वह भी हमारे सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है। मनोवैज्ञानिक प्रभाव को यदि जानने की कोशिश करें तो समाज का हर वर्ग मोबाइल फोन के कारण तनाव महसूस करता है। कभी अनावश्यक एसएमएस के कारण तो कभी असमय काॅल के कारण, क्योंकि हम हमेशा किसी भी सूचना के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं, इसकी उपयोगिता तथा प्रभाव का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सन् 2000 से आरम्भ होकर वर्तमान समय तक के मध्य भारत में सेलफोन का उपयोग समाज के उच्च तबकों से आरम्भ होकर निम्नतम तबकों तक, सरकारी, गैर सरकारी संस्थानों में, बूढ़ों तथा बच्चों तक सभी में समान रूप से पर्याप्त प्रचलित हो चुका है। इस प्रसिद्धि, प्रचलन तथा प्रयोग ने सचलयंत्र यानि सेलफोन को जहां एक ओर समाज को जोड़ने की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में स्थापित किया है, वहीं दूसरी ओर यह समाज की चिन्ता का भी विषय बन गया है। आज भारत में लगभग 27 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ता हैं, भारत के हर चौथे आदमी के पास मोबाइल फोन है। एक आंकलन के अनुसार भारत में हर घंटे 10 हजार मोबाइल सेट बिक रहें हैं, पिछले ही दिनों मोबाइल फोन उपभोक्ता की संख्या के लिहाज से भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़ा है, अब सिर्फ चीन भारत से आगे है। भारत में औसतन एक परिवार में एक से ज्यादा मोबाइल फोन हैं। एक जमाना था जब मोबाइल फोन का मतलब सिर्फ इतना था कि इससे फोन किया और सुना जा सकता था हालांकि तब भी यह एक आश्चर्य की तरह था क्योंकि इसे हाथ में लेकर कहीं भी आ-जा सकते थे। लेकिन अब मोबाइल फोन का उपयोग बदल गया है, अब सिर्फ फोन करने या सुनने का साधन नहीं बल्कि यह एक साथ कई इलेक्ट्रानिक्स गैजेटर्स का काम करता है। समाज में युवा पीढ़ी पर मोबाइल का प्रभाव विशेष पड़ा हैं, मोबाइल ने बेशक हमारी जिंदगी आसान की है लेकिन मोबाइल के साथ जुड़ी परेशानियों को भी हम नकार नहीं सकते हैं। मोबाइल से होने वाले रेडिएशन और मोबाइल फोनों का गलत कामों के लिए इस्तेमाल होना आज हमारे लिए एक खतरे का सूचक बन चुका है, कहते हैं कि अति हर चीज की बुरी होती है उसी तरह लगता है मोबाइल की लत की वजह से हमें आने वाले समय में बहुत बड़ी-बड़ी परेशानियों से दो-चार होना पड़ेगा। अगर आज मोबाइल लोगों के भरोसे का साथी है तो उनके भरोसे को तोड़ने में भी मोबाइल ही सबसे अधिक सहायक रहा है, मोबाइल फोन पर लोगों का भ्रम भी है तो उन्हें भरोसा भी है, भ्रम इस बात का है कि मोबाइल के जरिए बच्चों पर निगाह बनाई जा सकेगी, भरोसा इस बात का कि जब जहां चाहे वहां संपर्क हो जाएगा, बात सही है मोबाइल के कई फायदे हैं तो कई घातक नुकसान भी हैं, मोबाइल के इस्तेमाल के बाद से ही समाज में धोखाधड़ी के कई नए रूप देखने को मिल रहे हैं, मोबाइल ने किडनैपरों को तो जैसे जादू की छड़ी दे दी है, नंबर घुमाया माल हाजिर, तथाकथित प्रेम के पुजारियों ने अपने प्रेम को जगजाहिर करने के लिए ना जानें कितनी प्रेमिकाओं के अश्लील क्लिप बनाकर जगजाहिर किए, तो वहीं इस मोबाइल की वजह से आज लोगों में कई तरह की बीमारियां भी सामने आ रही हैं, आज समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि मोबाइल की वजह से समाज में प्रेम-प्रसंग बढ़ रहे हैं, मोबाइल उन लोगों के घर के लिए ज्यादा समस्या बना हुआ है जिनके घर जवान बच्चे हैं, मोबाइल के जरिए प्रेम प्रसंग की घटनाएं बढ़ी हैं, अश्लील मैसेज आदि भी मोबाइल की ही देन हैं, आजकल लड़के-लड़कियों के घर से भागने में मोबाइल अहम भूमिका अदा कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है कि मोबाइल के सिर्फ दुष्परिणाम ही हैं, अगर इसका सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो आप देखेंगे कि इससे बेहतर आविष्कार मानव जगत के लिए दूसरा हुआ ही नहीं, अब यह हमारे ऊपर है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को इससे किस तरह रूबरू कराते हैं।